प्रदेश में प्रति वर्ष फसलो में कीट, रोग तथा खरपतवारो आदि द्वारा लगभग 15 से 20 प्रतिशत
क्षति होती हैं, जिसमें लगभग 33 प्रतिशत खरपतवारों, 26 प्रतिशत रोगो, 20 प्रतिशत कीटों,
7 प्रतिशत भण्डारण के कीटों, 6 प्रतिशत चूहों तथा 8 प्रतिशत अन्य कारक सम्मिलित है।
इस क्षति को रोकने के लिये फसलों मे कीट, रोग एवं खरपतवार नियंत्रण की नई तकनीक की
जानकारी समस्त जनपदों को दिया जाना अनिवार्य है जिसके माध्यम से कृषि उत्पादन मे गुणात्मक
वृद्धि हेतु कृषि विकास से सम्बन्धित सभी महत्वपूर्ण घटकों द्वारा संयुक्त प्रयास सम्भव
हो सके। इसी उद्देश्य से विभिन्न पारिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट/रोग नियंत्रण योजना
को सम्मिलित किया गया है। कृषि रक्षा अनुभाग द्वारा सम्पादित कार्यो एवं संचालित कार्यक्रमों
का प्रमुख उद्देश्य निम्नवत् है-
- एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन (आई0पी0एम0) को लोकप्रिय बनाना तथा कृषको को कृषि रक्षा सम्बन्धी
तकनीकी विधि की सामयिक जानकारी देना।
- गुणवत्तायुक्त कृषि रक्षा रसायनों की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित कराना।
- सुरक्षात्मक दृष्टि एवं आर्थिक क्षति स्तर से अधिक आपतन की दशा में कृषि रक्षा रसायनों
के प्रयोग की सलाह देना।
- जैविक रसायनों द्वारा फसल सुरक्षा हेतु प्रोत्साहित करना।
- सुरक्षित एवं इकोफ्रेन्डली रसायनों का प्रयोग कराना।
- कीटनाशी गुण नियंत्रण सम्बन्धी प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित कराना।
- प्रतिबंधित एवं निषिद्ध कीटनाशी रसायनों के बारे में कृषकों को जागरुक करना।
- कीट/रोग के प्रकोप को सर्वेलेंस (निगरानी) के माध्यम से प्रबन्धन करना।
उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिये संचालित किये जा रहे कार्यक्रम
बीज शोधन
भारत सरकार के निर्देशानुसार खरीफ एवं रबी की प्रमुख फसलों मे बीज जनित रोगों के नियंत्रण
हेतु कृषकों को जागरुक करने के उद्देश्य से बीज शोधन अभियान का क्रियान्वयन कराया जा
रहा है।
एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन
कीटनाशी रसायनों के अवशेष स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव छोड़ते है तथा कीटों में प्रतिरोधक
क्षमता उत्पन्न हो जाता है, जिसके कारण कीटनाशी का प्रभाव एक समस्या बन जाती है और
पर्यावरण संतुलन बिगड़ता है। इसके लिए एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन पद्धति अपनाकर उपरोक्त
समस्याओं का निवारण किया जाता है।।
पेस्ट सर्वेलेन्स
भारत सरकार के निर्देशानुसार उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रदेश एवं जनपद स्तर पर पेस्ट
सर्वेलेन्स एवं एडवाइजरी यूनिट का गठन किया गया है। प्रदेश स्तर पर कृषि निदेशक, उ0प्र0
की अध्यक्षता में प्रत्येक माह कमेटी की बैठक की जा रही है तथा जनपद स्तरीय पेस्ट सर्वेलेन्स
एवं एडवाइजरी यूनिट से प्राप्त आंकड़ों का परीक्षण, प्रस्तुतिकरण, सर्वेलेन्स का अनुश्रवण
तथा प्राप्त सुझावों पर क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया जा रहा है।
कृषि रक्षा रसायनों की व्यवस्था
प्रदेश में कृषि रक्षा रसायनों के कुल लक्ष्य का 25 प्रतिशत कृषि विभाग, 12.5 प्रतिशत
सहकारिता, 12.5 प्रतिशत यू0पी0 स्टेट एग्रो एवं शेष 50 प्रतिशत निजी विक्रेताओं के
माध्यम से वितरण कराया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष खरीफ एवं रबी में जनपदवार संस्थावार
उपलब्धता के लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं।
गुणवत्ता नियंत्रण
कृषि विभाग गुणवत्तायुक्त कृषि रक्षा रसायन कृषकों को उपलब्ध कराने हेतु दृढ़संकल्प
है। कीटनाशी अधिनियम 1968 के अन्तर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ मे नमूना
आहरण लक्ष्य निर्धारित कर प्रदेश के कीटनाशी निरीक्षकों को नमूनें आहरित करने तथा अधोमानक
नमूनों के विके्रता/विनिर्माताओं के विरूद्ध सक्षम न्यायालय में वाद पंजीकृत कराने
के निर्देश दिये जाते हैं।
प्रचार-प्रसार
कीट, रोग एवं खरपतवार के नियंत्रण की सामयिक जानकारी हेतु समय-समय पर प्रमुख समाचार
पत्रों मे प्रेस विज्ञप्ति एवं रेडियो व दूरदर्शन पर भेंट वार्ता प्रसारित की जाती
है, जिससे कृषकों को फसल सुरक्षा की सामयिक जानकारी का लाभ मिल सके। समय-समय पर आवश्यकतानुसार
प्रशिक्षण/गोष्ठियों के माध्यम से भी कृषकों को सम्यक तकनीकी जानकारी से लाभान्वित
कराया जा रहा है तथा कीट/रोग से सम्बन्धित तकनीकी साहित्य/बुकलेट/कैलेण्डर छपवाकर कृषकों
मे वितरित किया जा रहा है।
सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (पी०सी०एस०आर०एस०)
इस योजना में मुख्यालय स्तर पर स्थापित सर्विलेन्स सेल मे दो मोबाइल नम्बर 9452247111
एवं 9452257111 लिये गये है जिस पर कृषकों द्वारा एस0एम0एस0/व्हाट्सएप द्वारा कीट/रोग
से सम्बन्धित समस्यायें भेजी जाती हैं। प्रदेश स्तर पर स्थापित सर्विलेन्स सेल में
कृषकों द्वारा एस0एम0एस0/व्हाट्सएप द्वारा भेजी गई समस्याओं को कम्प्यूटर आपरेटर द्वारा
डाउनलोड कर सम्बन्धित जिला कृषि रक्षा अधिकारी को योजनान्र्तगत बनी उनकी लागिन पर उपलब्ध
कराया जाता है, प्राप्त समस्या को सम्बन्धित जनपदों के जिला कृषि रक्षा अधिकारी अपने
लागिन से प्राप्त करते हुए दो दिनों (48 घंटे) मे उसका निराकरण सम्बन्धित कृषक को एस0एम0एस0
के माध्यम से भेजना सुनिश्चित करते हैं।
बीजशोधन/भूमि शोधन विशेष अभियान
प्रत्येक विकास खण्ड के 5 राजस्व ग्रामों में कृषि विभाग द्वारा शतप्रतिशत बीज शोधन
एवं भूमि शोधन हेतु प्रत्येक राजस्व ग्राम में कम से कम 50 हे0 क्षेत्रफल में विशेष
अभियान के रूप में चलाया जा रहा है। अभियान को सफल बनाने हेतु चयनित ग्रामों मे वरिष्ठ
प्राविधिक सहायक ग्रुप-बी (कृषि/कृषि रक्षा) तथा प्राविधिक सहायक ग्रुप-सी (कृषि/कृषि
रक्षा) को एक-एक राजस्व ग्राम आवंटित कर बीज शोधन एवं भूमि शोधन के महत्व की जानकारी
देते हुए कृषकों को प्रशिक्षित किया गया है।