सूरजमुखी
सूरजमुखी की खेती खरीफ ,रबी एवं जायद तीनो ही मौसमों में की जा सकती है। परन्तु खरीफ
में सूरजमुखी पर अनेक रोग कीटों का प्रकोप होता है। फूल छोटे होते है। तथा उनमें दाना
भी कम पड़ता है। जायद में सूरजमुखी की अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
विगत पांच वर्षो मं आच्छादन ,उत्पादन एंव उत्पादकता के आकड़े निम्नवत् है।
वर्ष
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क्षेत्रफल (हे.)
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उत्पादन (मी. टन)
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उत्पादकता कु./हे.
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2008
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13000
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21000
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16.21
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2009
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4677
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105972
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2.66
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2010
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4083
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8677
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21.25
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2011
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3562
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6080
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17.07
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2012
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3000
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20000
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7.89
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2013
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2448
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3919
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16.01
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2014
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2544
|
4352
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17.21
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भूमि एंव जलवायु
सूरजमुखी की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। परन्तु अधिक जल रोकने वाली
भारी भूमि उपयुक्त है। निश्चित सिचाई वाली सभी प्रकार की भूमि में अम्लीय व क्षारीय
भूमि को छोडकर इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है।
खेत की तैयारी
खेत में पर्याप्त नमी न होने की दशा में पलेवा लंगाकर जुताई करनी चाहियें। आलू, राई,
सरसों अथवा गन्ना आदि के बाद खेत खाली होते ही एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा
देशी हल से 2-3 बार जोतकर मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए। रोटावेटर से खेत की तैयारी
शीघ्र हो जाती है।
क्र.सं.
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प्रजाति
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पकने की अवधि (दिन में)
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पौधों की ऊचाई (से.मी.)
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मुंडक का व्यास (से.मी.)
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अधिकतम उपज क्षमता (कु./हे.)
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औसत उपज (कु./हे.)
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तेल प्रतिशत
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(अ)
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संकुल
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1
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मार्डन
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75-80
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80-100
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12-15
|
18.00
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10-12
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34-38
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2
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सूर्या
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80-85
|
75-110
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12-15
|
15.00
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12-15
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35-37
|
(ब)
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संकर
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|
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3
|
के.वी. एस.एच-1
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90-95
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150-180
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15-20
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30.00
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18-20
|
43-45
|
4
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एस.एच.-3322
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90-95
|
135-175
|
15-20
|
28.00
|
22-25
|
40-42
|
5
|
एम०एस०एफ०एच०17
|
90-95
|
140-150
|
15-20
|
28.00
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18-20
|
35-40
|
6
|
वी०एस०एफ०-1
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90-95
|
140-150
|
15-20
|
28.00
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18-20
|
35-40
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